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Monday, April 16, 2018

हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना - Physical Structure Of Hard Disk in Hindi

हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) कंप्यूटर की सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) होती है इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है और तेज गति से दोबारा से प्राप्त किया जा सकता है आईये जानते हैं हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना - Physical Structure Of Hard Disk in Hindi 

हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना - Physical Structure Of Hard Disk in Hindi

हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना - Physical Structure Of Hard Disk in Hindi


असल में हार्ड डिस्क कई सारी प्‍लैटरों को मिलाकर एक एयरटाइट केस में एक के ऊपर एक लगाकर यानी डिस्‍क का ढेर बनाकर एक हार्ड डिस्क का निर्माण किया जाता है प्रत्येक प्‍लैटर एक पतली गोलाकार धातु प्लेट का बना होता है जिसके दोनों ओर मैग्नेटिक लेयर होती है यानी मैग्नेटिक पदार्थ की कोटिंग होती है आजकल जितने भी प्लैटर होते हैं वह 3.5 इंच डायमीटर के होते हैं

मान लीजिए एक कंप्यूटर जिसमें 80 GB या उससे अधिक क्षमता की हार्ड डिस्क का प्रयोग होता है उसमें 7 या अधिक डिस्क एक केंद्रीय शाफ्ट पर लगी होती हैं जो लगभग 2400 से 7200 आरपीएम यानी चक्कर प्रति मिनट की स्पीड से घूमती हैं यह प्‍लैटर एक दूसरे से 1.5 इंच की दूरी पर लगे होते हैं प्रत्येक प्‍लैटर के ऊपर और नीचे रीड और राइट हेड दिया गया होता है जो एक मूबेबल आर्म के साथ जुड़ा होता है दो प्‍लेटर के बीच लगे आर्म दो रीड और राइट हैड लेकर चलते हैं, अत एक 6 प्‍लेटर वाली हार्डडिस्‍क को 12 हेड वाली डिस्‍क भी कहा जा सकता है
हार्ड डिस्क में जितनी भी डिस्क होती हैं वह समान गति पर घूमती हैं व समान दिशा में घूमती हैं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हार्ड डिस्क की सबसे ऊपरी सतह और सबसे निचली सतह पर डाटा स्टोर नहीं होता है बाकी जितनी में डिस्क होती हैं उन सभी सतह  पर डाटा स्टोर किया जा सकता है प्रत्येक डिस्क में कई सारे अदृश्य व्रत होते हैं जिन्हें ट्रैक कहा जाता है इन ट्रैकों को एक नंबर दिया जाता है सबसे बाहरी ट्रक का जो नंबर होता है वह जीरो होता है अब हर डिस्क पर यह ट्रैक दिए गए होते हैं और एक ही नंबर वाले सभी ट्रैक एक सिलेंडर का निर्माण करते हैं  इस प्रकार एक हार्डडिस्‍क में जिसमें 10 प्‍लैटर होते हैं और 18 रिकार्डिग सतहेंं होती हैं क्योंकि हार्ड डिस्क की सबसे ऊपरी सतह और सबसे निचली सतह पर डाटा स्टोर नहीं होता है इसलिये वह 18 ही होती हैं और इस तरह सिलेंडर में 18 ट्रैक होते हैं


लेटेंसी टाइम (Latency time) और सीक टाइम (seek time) 

अब समझ लेते हैं लेटेंसी टाइम और सीक टाइम क्या होता है एक डिस्‍क में निश्चित ट्रैक पर पहुंचने में लगने वाले समय को लेटेंसी टाइम (Latency time) कहा जाता है और रिकॉर्ड को पढ़ने में अलने वाले समय को सीक टाइम (seek time) कहा जाता है लेटेंसी टाइम (Latency time) और सीक टाइम (seek time) दोनों मिलाकर कुल समय एक हार्डडिस्‍क का एक्सेस टाइम (Access time) को बोला जाता है

अब जान लेते हैं हार्ड डिस्क में डाटा को कैसे व्यवस्थित रखा जाता है डाटा को व्यवस्थित रखने के लिए डॉस मेमोरी डिस्क को दो भागों में बांटती है पहला सिस्टम एरिया और दूसरा डाटा एरिया
1- सिस्टम एरिया (System Area)
सिस्टम एरिया हार्ड डिस्क का कुल 2% होता है जो डिस्क की मूल संरचना को संगठित करने के लिए प्रयोग किया जाता है सिस्टम एरिया तीन भागों में बटा होता है -
  1. बूट रिकोर्ड्स(Boot Records)
  2. फैट(FAT)
  3. रूट डायरेक्टरी (Root Directory)

1- बूट रिकोर्ड्स (Boot Records)

बूट रिकोर्ड्स (Boot Records) को पार्टीशन सेक्टर भी कहा जाता है एक सेक्टर का आकार 512 बाइट का होता है जिसके पहले सेक्टर का उपयोग किया जाता है इन बूट्स एक्टर्स में निम्नलिखित जानकारी होती है जैसे डिस्क का प्राइमरी पार्टीशन टेबल कहां रखना है कंप्यूटर स्टार्ट करने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक कोड और निर्देश की जानकारी आदि रहती है 

2- फैट(FAT)

फैट(FAT) की फुल फॉर्म है फाइल एलोकेशन टेबल जिसे संक्षेप में फैट कहा जाता है फैट(FAT) टेबल बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें डाटा का पूरा रिकॉर्ड रहता है कि वह कहां पर स्टोर किया जाना है

3- रूट डायरेक्टरी (Root Directory)

कंप्यूटर के फाइल सिस्टम के डायरेक्टरी संखला की पहली डायरेक्टरी रूट डायरेक्टरी (Root Directory) होती है इसे मूल डायरेक्टरी के नाम से भी जानते हैं इसी में सभी अन्य फाइल है डायरेक्टरी और सब डायरेक्टरी का हिसाब-किताब रहता है

2- डाटा एरिया (Data Area)

2% हिस्सा सिस्टम एरिया कवर करता है तो 98% प्रतिशत हिस्सा डाटा एरिया (Data Area) कवर करता है हमारे द्वारा बनाई गई सभी प्रकार की फाइलें और डाटा इसी डाटा एरिया में तो रहता है यह पूरा डिटेल या छोटे-छोटे क्लस्टर में विभाजित रहता है 

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